नींद जब मुझे आघोष मैं लेती है, लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप सितंबर 07, 2015 नींद जब मुझे आघोष मैं लेती है, आपका चेहरा निगाहूँ में बस जाता है, एक दम से मेरी आँख खुल जाती है, दिल से बे सखा ये आवाज़ आती है, . . . . . "अम्मी भूत" लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप टिप्पणियाँ
पलकों में कैद कुछ सपने हैं, सितंबर 07, 2015 पलकों में कैद कुछ सपने हैं, कुछ बेगाने और कुछ अपने है, ना जाने क्या कशिश है इन ख्यालो में, कुछ लोग दूर हो के भी कितने अपने है. गुड नाईट और पढ़ें
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