नींद जब मुझे आघोष मैं लेती है,


नींद जब मुझे आघोष मैं लेती है,
आपका चेहरा निगाहूँ में बस जाता है,
एक दम से मेरी आँख खुल जाती है,
दिल से बे सखा ये आवाज़ आती है,
.
.
.
.
.
"
अम्मी भूत"

टिप्पणियाँ

पलकों में कैद कुछ सपने हैं,

दिल की गहराइयों से संदेश भेजा हैं इसे मुस्कान के साथ कुबूल फरमाईयें रात का हर तारा इंतजार कर रहा हैं उन्हें रात्रि का तौहफा देते जाइए शुभ रात्रि