तेरे बिना कैसे मेरी गुज़रेंगी ये रातें,

तेरे बिना कैसे मेरी गुज़रेंगी ये रातें,
तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें,
बहोत लम्बी है ये घड़ियाँ इंतज़ार की,
करवट बदल-बदल कर कटेंगी ये रातें.
शुभरात्रि दोस्तों !!

टिप्पणियाँ

पलकों में कैद कुछ सपने हैं,

दिल की गहराइयों से संदेश भेजा हैं इसे मुस्कान के साथ कुबूल फरमाईयें रात का हर तारा इंतजार कर रहा हैं उन्हें रात्रि का तौहफा देते जाइए शुभ रात्रि